कृष्ण जन्माष्टमी ( KRISHNA JANMASTMI )
कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के उपलक्ष पर बनाई जाती है भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था और इसी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है और इस साल यह 11 अगस्त और 12 अगस्त दोनों ही दिन पड़ रही है।

भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और यह तिथि सनातन धर्म में अपना एक विशेष महत्व रखती है। यह दिन सनातन धर्म में एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है इस दिन लोग व्रत रखते हैं और पूजन करते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण की पालकी सजाई जाती है तो कहीं झांकियां निकाली जाती है।
भगवान श्री कृष्ण का संक्षिप्त वर्णन :
भगवान श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में जाने जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण का संबंध द्वापर युग से है। भगवान श्री कृष्ण ने धर्म और अधर्म की लड़ाई में पांडवों का साथ देकर धर्म की रक्षा की थी और उनके द्वारा कहीं गई भगवद गीता अपने आप में इतनी महान और ज्ञान देने वाली है कि माना जाता है इंसान के हर सवाल का जवाब भगवत गीता में छिपा हुआ है।

क्या है 2 दिन कृष्ण जन्माष्टमी पड़ने का कारण (What is the reason for having Krishna Janmashtami for 2 days ) ??
अक्सर देखने को मिलता है कि कृष्ण जन्माष्टमी एक नहीं बल्कि 2 दिन पड़ जाती है। दरअसल भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था लेकिन अक्सर ऐसी स्थिति बन जाती है कि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों एक दिन नहीं पड़ते। अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का अलग-अलग दिन पड़ने के कारण अक्सर कृष्ण जन्माष्टमी 2 दिन मनाई जाती है।
शुभ मुहूर्त (auspicious time ) :
इस साल भी अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र अलग-अलग दिन है। 11 अगस्त को सुबह 9:07 के बाद अष्टमी तिथि का आरंभ हो रहा है तो वही रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 12 अगस्त को सुबह 3:27 से हो रहा है जो कि 12 अगस्त को ही शाम के 5:22 तक रहेगा।
पंचांग के अनुसार गृहस्थ वालों को 11 अगस्त यानी अष्टमी तिथि के दिन ही पर्व मनाना सही रहता है। गृहस्थ लोगों को रात में चंद्रमा को अर्घ्य देना दान करना जागरण कीर्तन करना अच्छा माना जाता है।
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कृष्ण जन्म की कथा Story of krishna birth
भगवान श्री कृष्ण ने अष्टमी तिथि हो तुम भी नक्षत्र में आधी रात में रोहिणी नक्षत्र के दिन मथुरा में कंस के कारागार में बंदी वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से हुआ। जन्माष्टमी पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ और मान्यता के साथ हर वर्ष मनाई जाती है।
भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में कंस की बहन देवकी जिनका विवाह वासुदेव से हुआ था के यहां हुआ ।
देवकी के विवाह के पश्चात जब कंस देवकी की विदाई कर रहा था तब एक आकाशवाणी हुई कंस तेरी मौत का कारण देवकी का आठवां पुत्र जो तेरा काल होगा और तेरे पापों की सजा तुझे देखा यह सुनकर कंस ने वासुदेव को मारना चाहा लेकिन देवकी नहीं कहा कि अपने बहनोई को मारने से क्या फायदा मेरे जो भी पुत्र होंगे उन्हें लाकर तुम्हें दूंगी। यह सुनकर कंस ने देवकी और वासुदेव को अपने कारागार में बंदी बना लिया देवकी और वासुदेव के एक-एक करके 7 पुत्र हुए और सातों का कंस ने वध कर दिया।
इसके पश्चात देवकी का आठवां पुत्र होने वाला था। नंद और यशोदा घर में भी बच्चा जन्म लेने वाला था। वासुदेव और देवकी ने अपने आठवें पुत्र को बचाने के लिए उपाय निकाला जो बच्चा नंद के यहां होने वाला था वह कन्या थी जो कि सिर्फ एक माया का स्वरूप थी। कारागार में भगवान विष्णु ने देवकी और वासुदेव को दर्शन दिए और कहा कि मैं आप के आठवें पुत्र के रूप में आप के गर्भ से जन्म लूंगा। और तुम मुझे नंद के घर छोड़ आओ और वहां जन्मी कन्या को यहां ले आओ। इसके पश्चात कारागार में सभी सैनिक मूर्छित हो गए और सभी जगह सन्नाटा छा गया और वासुदेव श्री कृष्ण का जन्म हुआ इसके पश्चात वासुदेव और देवकी ने कृष्ण को नंद के यहां भेजने का फैसला लिया वासुदेव सूप पर यमुना पार करके श्री कृष्ण को लेकर नंद के यहां गए कहा जाता है कि जब कृष्ण का जन्म हुआ था
तब यमुना में उफान आने लगा था और तेज आंधी और तूफान आया उस अंधेरी काली रात अष्टमी के रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ। तत्पश्चात वासुदेव कन्या को लेकर कारागार में वापस आए। और कंस को आठवां बच्चा कन्या के रूप में सामने उसको भी मारने की कोशिश की लेकिन वह माया का एक रूप थी इसलिए कंस उसे मार नहीं पाया और उसने भविष्यवाणी की कि तेरा काल जन्म ले चुका है और तेरी मृत्यु निश्चित होगी। इसके पश्चात वंश ने भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए बहुत से राक्षसों और प्रपंच का सहारा लिया परंतु भगवान कृष्ण का वध नहीं कर पाया।
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