जिंदगी में हर इंसान कभी ना कभी कोई ना कोई गलती जरूर करता है और बहुत कम लोग हैं जो अपनी गलतियां देख लेते हैं या मान लेते हैं और जो अपनी गलतियां मान सकता है वही अपनी गलतियां सुधार भी सकता है।
गलतियों को मानना और उन्हें सुधारना बिल्कुल भी आसान नहीं होता और इसकी 2 वजह है :-
- जब हम कोई काम बहुत ज्यादा समय से या बहुत ज्यादा ध्यान लगाकर कर रहे होते हैं तो हम खुद को उस काम से जोड़ लेते हैं और खुद वह काम बन जाते हैं और जब कोई हमें गलत कहता है या जब हमें लगता है कि वह काम गलत है या हमारा तरीका गलत है तो हम खुद को गलत मान ही नहीं पाते क्योंकि हमारा अहंकार इसके बीच आ जाता है कि हम तो गलत हो ही नहीं सकते या फिर हम यह सोच रहे होते हैं कि हम इस काम को ना जाने कितने समय से या कितना ध्यान लगाकर कर रहे थे, हम कैसे गलत हो सकते हैं।
बहुत ज्यादा समय से या बहुत ज्यादा ध्यान लगाकर काम करने का यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप गलत नहीं हो सकते।
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- गलतियों को मानना या स्वीकार करना फिर उन्हें सुधारने की कोशिश करना एक तरीके से Highway में Speed Breaker की तरह होता है जिसमें आप जिंदगी के Highway में बहुत तेज चल रहे होते हैं और खुद की गलतियां स्वीकार करना एक तरीके से Speed Breaker से होकर गुजरने के समान है जहां पर आपको अपनी Speed Slow करनी होती है और जिंदगी में अक्सर हम यह मानते हैं कि अगर हम धीमे हुए तो लोगों से पीछे छूट जाएंगे और इसलिए उस Speed Breaker से होकर गुजरते ही नहीं।
इंसान का अपनी मंजिल पर बिना Speed Breaker वाले Highway से पहुंचना बहुत ज्यादा मुश्किल होता है इसलिए अपनी गलतियां स्वीकार करना सीखिए।
जिंदगी नाम के Highway में Speed Breaker का होना बहुत जरूरी होता है वह Speed Breaker जिसमें हम अपनी गलतियों का एहसास कर सके और उन्हें सुधारने की कोशिश कर सकें