जब तक जिंदगी है ख्वाइशें तब तक रहेंगी। ख्वाहिशों का होना कोई बुरी बात नहीं लेकिन हर ख्वाहिशों को बढ़ावा देना और चाहना की हर ख्वाहिश पूरी हो यह बिल्कुल गलत है।
हद से ज्यादा ख्वाइशें इंसान को उलझा देती हैं और हद से ज्यादा ख्वाइशें रखने वाला इंसान कभी यह नहीं बता सकता कि आखिर उसे चाहिए क्या??
जिंदगी में सिर्फ कुछ गिनी चुनी ख्वाहिशें होनी चाहिए,ऐसा कर पाना हालांकि बिल्कुल आसान नहीं होता पर ऐसा इंसान अपनी जिंदगी को मकसद प्रदान कर पाता है और सही मायनों में जिंदगी को किसी मंजिल तक पहुंचाता है।
आप किसी भी एक ख्वाहिश को लेकर आगे बढीये, एक समय के बाद प्यार, आकर्षण, जरूरत, लगाव, द्वेष, क्रोध यह सब 1 ख्वाइश से हजार छोटी-छोटी ख्वाहिशों को जन्म दे देती हैं और इंसान भूल जाता है कि आखिर वह कौन सी ख्वाहिश लेकर निकला था।
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कुछ भी हो वक़्त इम्तिहान ले या प्यार, आकर्षण, द्वेष जैसी चीजें रास्ते में रुकावट बने कभी अपनी उस ख्वाहिश को मत भूलिए जिसे पूरा करने के उद्देश्य से आपने आगे कदम बढ़ाया था। अपनी ख्वाहिश के लिए लगाए गए आपके Efforts ही आपके परमसुख (Ecstasy) हैं।
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