मां सुरकंडा देवी ( Surkanda Devi temple) , यह मां भगवती अर्थात दुर्गा मां का ही एक रूप है। विशाल पर्वत की ऊंची चोटी, सुरकुट पर्वत पर स्थित है यह मंदिर बहुत ही भव्य है इसका दृश्य काफी आलौकिक है यह माता के 51 शक्तिपीठों में से एक प्रसिद्ध सिद्ध पीठ है और यहां के प्रसिद्ध स्थलों में से एक है।
कहां स्थित है सुरकंडा देवी मंदिर ( Where is Surkanda Devi Temple located)
सुरकंडा देवी मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में टिहरी जिले में स्थित है यहां जाने के लिए ऋषिकेश-टिहरी राजमार्ग से जाना पड़ता है यह ऋषिकेश से लगभग 86 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहां जाने के लिए बस और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं अगर आप हवाई मार्ग द्वारा आना चाहते हैं तो देहरादून जौली ग्रांट एयरपोर्ट तक आ सकते हैं उसके पश्चात आप ऋषिकेश टैक्सी या बस द्वारा आ सकते है।
आस-पास की जगह
मंदिर जाने के लिए ऋषिकेश-मसूरी धनोल्टी मार्ग से होकर जाना पड़ता है मंदिर की ऊपर की चोटी पर जाने के लिए पैदल मार्ग जो कि कद्दूखाल से है कद्दूखाल से माता के दरबार तक पैदल यात्रा शुरू होती है। कद्दूखाल एक मार्केट है जहां श्रद्धालु वाहन पार्किंग और माता के लिए पूजा की सामग्री भेंट के लिए इत्यादि लेते हैं। धनोल्टी, मसूरी और कानाताल इसके निकट ही स्थित है बर्फ के समय का यहां का दृश्य देखने लायक है बर्फ से ढकी मंदिर का दृश्य बहुत ही सुंदर दिखाई पड़ता है जो कि आप पिक्चर्स में देख सकते हैं।

यहां से चारों धामों की पहाड़ियां भी नजर आती है मंदिर के आंगन में भगवान शिव तथा हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है।
क्या है सरकंडा देवी की मान्यता (What is the belief of Sarakanda Devi )?
यहां के आसपास के क्षेत्रों और उत्तराखंड में इस मंदिर की काफी मान्यता है यहां के आस-पास के क्षेत्रों की मां सुरकंडा कुलदेवी भी है।
पौराणिक मान्यताओं और हिंदू धर्म के अनुसार दक्षा राजा के यज्ञ में माता सती ने जब भगवान शिव को आमंत्रित ना करने की वजह से यज्ञ कुंड में अपने प्राण त्याग दिए थे तब शिवजी ने क्रोध में आकर उनके शरीर को उठाकर ले गए तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनके अंगों को अलग-अलग कर दिया था । उनके शरीर के यह अंग जहां-जहां गिरे मां के शक्तिपीठ बने उन शक्ति शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ यह भी है । यहां माता का सिर गिरा था इसलिए इसे सुरकंडा देवी कहा जाता है।

मंदिर का दृश्य :
मंदिर का दृश्य अत्यंत ही भव्य है भक्त यहां काफी मात्रा में आते हैं ऊंची चोटी पर स्थित होने के कारण यहां से दूरदराज तक फैली पहाड़ियां और नीचे बसे गांव का दृश्य बहुत ही आकर्षक लगता है। मंदिर के चारों ओर परिक्रमा की जाती है और एक और प्रवेश द्वार तथा एक और बाहर निकलने के लिए द्वार भी है।

अंदर माता की मूर्ति स्थापित है जिसमें छत्र चढ़े हैं माता का यह स्वरूप बहुत ही आकर्षक और मनमोहक है।आप दर्शन कर सकते हैं और भेंट चढ़ा सकते हैं मंदिर के बाहर बहुत ही खुला आंगन है जिसमें श्रद्धालु फोटो आदि खिंचवाते हैं यहां अलग से कैमरे से फोटो खिंचवाने के लिए फोटोग्राफर भी उपलब्ध है।
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माना जाता है कि जो यहां सच्चे दिल से आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है यहां पर नवरात्रि के समय श्रद्धालुओं की भारी संख्या में भीड़ रहती है माना जाता है कि सच्चे दिल से मांगी मनोकामना पूर्ण होती हैं नवरात्रि के समय यहां पर मेला भी लगता है जिसे सुरकंडा देवी का मेला कहते हैं जो कि कद्दूखाल में लगता है।
यहां आस-पास काफी अच्छे हिल स्टेशन भी हैं यहां आप जरूर आएं यहां आपको सर्दियों में काफी बर्फ मिलेगी और साथ नहीं एडवेंचर-गेम्स इत्यादि भी कर सकते हैं आसपास की जगह जैसे कानाताल, मसूरी, धनोल्टी (click here) बहुत ही प्रसिद्ध स्थल है।